मोबाइल फोन होता बहुत छोटा है लेकिन ये सही आदमी के लिए जान बचाने वाला और अपराधियों के लिए "साक्षात काल" होता है..!
इसका कारण मोबाइल में इनबिल्ट "GPS NEVIGATION SYSTEM" और IMEI नम्बर होते हैं.
चाहे फोन का कितना भी सिम कार्ड बदल लो या इसे फॉर्मेट कर लो लेकिन जैसे ही मोबाइल फोन को ऑन किया जाता है..
ये सिग्नल रिसीव करने के लिए टावर से संपर्क करता है और अपना IMEI नम्बर टावर को भेजता है.
जिससे उक्त मोबाइल का सटीक लोकेशन सर्विस प्रदाता कंपनी को मिल जाती है.
जिसका उपयोग पुलिस अपने ढंग से करती है और अपराधी पकड़ा जाता है.
ये तो हुई मोबाइल की बात...!
लेकिन, गाड़ियों और DTH आदि का नेविगेशन सिस्टम.. किसी टावर से नहीं बल्कि सीधे उस देश के सेटेलाइट से जुड़ा होता है.
जैसे कि... DISH TV, AIRTEL, VIDEOCON , telsa कार आदि का नेविगेशन सिस्टम अपने अपने देश के सेटेलाइट से जुड़ा होता है.
और, भगवान की दया से... किसी भी गाड़ी में इनबिल्ट इंजन नम्बर और चेचिस नंबर होता है.
उसे कोई कितना भी खुरच ले या बदल ले... लेकिन, कंपनी को मालूम होता है महाराष्ट्र, बिहार, बंगाल आदि में फलाने ईसवी के फलाने महीने में जो गाड़ी सप्लाई हुई थी वो किस सीरीज की गाड़ी थी.
और, उसमें अगर जीपीएस सिस्टम लगा हो तो फिर सोने में सुहागा.
फिर, किसी 'आ तंक वादी' अथवा युद्धग्रस्त एरिया में इनबिल्ट जीपीएस सिस्टम वाली गाड़ी ही भेजी जाती है ताकि आराम से कंप्यूटर पर बैठ के हर गाड़ी के मूवमेंट पर नजर रखी जा सके.. और उनमें कोर्डिनेशन स्थापित की जा सके.
हाईटेक गाड़ियों का जीपीएस सिस्टम इस तरह से भी जुड़ा हो सकता है कि अगर उसका जीपीएस सिस्टम बंद किया जाए तो फिर गाड़ी स्टार्ट हो ही न.
क्या हो कि... कोई कंपनी अपनी हर एक गाड़ी के इंजन के किसी भाग में एक रिमोट संचालित बम भी फिट कर दे.
ताकि, कोई 'आतंक वादी' या दुश्मन सेना उस गाड़ी को लेकर भागने की कोशिश करे तो उसे दुश्मन समेत ही उड़ा दिया जाए.
मतलब कि... गाड़ी चलाने वाला गाड़ी को कहाँ लेकर जा रहा है वो अपने कंप्यूटर पर बैठ के देखते रहे (ठीक cctv की तरह).
और, जब उसे लगे कि चालक उसकी बात से बाहर जा रहा है तो अपने टेबल से ही एक बटन दबाए तो इधर धड़ाम...!
तो भाई... होने का कुछ भी सकता है...
इसीलिए, हर चीज को 2+2= 4 का फैसला कर लेना उचित नहीं है.
बहुत बार चीजें जो होती है वो दिखती नहीं है और जो दिख रही होती है वो होती नहीं है.
क्योंकि, अमेरिका जैसा खुराफात देश इतनी आसानी से दान-पुण्य करने वाला तो है नहीं.
वो क्या... कोई भी देश नहीं करेगा.
इसीलिए , मुझे लग रहा है कि... हवाई जहाज और हेलीकॉप्टर आदि तो दुनिया को दिखाने के लिए खराब कर दिया ताकि उसकी ज्यादा थू थू नहीं हो.
लेकिन, शातिराना ढंग से उसने सारे GPS इनबिल्ट बख्तरबंद गाड़ियां और अन्य गाड़ियों को छोड़ गया ताकि जाहिल तालिबानी उसे इस्तेमाल करें.
इस तरह... अमेरिका अपने सैनिकों को अफगानिस्तान से निकाल ले गया ताकि उसके लोग ना मरें...
लेकिन, हर तालिबानी के बांह में जीपीएस चिप और पेट में बम लगा गया जिसका रिमोट कंट्रोल अमेरिका के हाथ में है..
बाकी... क्या है और क्या नहीं ..
ये तो पता चल ही जायेगा.
लेकिन, काबुल एयरपोर्ट पर धमाका करवाने वाले ISIS के साजिशकर्ता को महज 36 घंटे के अंदर एक ऑटो में उड़ा देना ये समझाने के लिए पर्याप्त है कि तालिबान के कब्जे के बाद भी अफगानिस्तान के एक-एक ऑटो तक के मूवमेंट की खबर उसको है.
और, ये तक खबर है कि उस ऑटो में कौन बैठा हुआ है.
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