Posts

Showing posts with the label श्री नानक जी केवल पाँच नाम

दास की परिभाषा‘‘

Image
‘‘दास की परिभाषा‘‘ एक समय सुल्तान एक संत के आश्रम में गया। वहाँ कुछ दिन संत जी के विशेष आग्रह से रूका । संत का नाम हुकम दास था। बारह शिष्य उनके साथ आश्रम में रहते थे। सबके नाम के पीछे दास लगा था। फकीर दास, आनन्द दास, कर्म दास, धर्मदास। उनका व्यवहार दास वाला नहीं था। उनके गुरू एक को सेवा के लिए कहते तो वह कहता कि धर्मदास की बारी है, उसको कहो, धर्मदास कहता कि आनन्द दास का नम्बर है। उनका व्यवहार देखकर सुल्तानी ने कहा कि:-  दासा भाव नेड़ै नहीं, नाम धराया दास। पानी के पीए बिन, कैसे मिट है प्यास।। सुल्तानी ने उन शिष्यों को समझाया कि मैं जब राजा था, तब एक दास मोल लाया था। मैंने उससे पूछा कि तू क्या खाना पसंद करता है। दास ने उत्तर दिया कि दास को जो खाना मालिक देता है, वही उसकी पसंद होती है। आपकी क्या इच्छा होती है? आप क्या कार्य करना पसंद करते हो? जिस कार्य की मालिक आज्ञा देता है, वही मेरी पसंद है। आप क्या पहनते हो? मालिक के दिए फटे-पुराने कपड़े ठीक करके पहनता हूँ। उसको मैंने मुक्त कर दिया। धन भी दिया। उसी की बातों को याद करके मैं अपनी गुरू की आज्ञा का पालन करता हूँ। अपनी मर्जी कभी न

श्री नानक जी केवल पाँच नाम

Image
श्री नानक जी केवल पाँच नाम (मूल कमल से कण्ठ कमल तक वाले मन्त्र) देते थे। साथ में वाहे गुरू-वाहे गुरू का जाप भी देते थे। उन पाँच नामों का प्रमाण पुस्तक ’’तीइये ताप की कथा’’ में गुरू अमर दास जी ने ये पाँचों नाम मन्त्र लिखे हैं जिनके जाप से रोग भी नष्ट हो जाता है। (वे मन्त्र हैं हरियं, श्रीं, कलिं, ओं, सों) यह मैं (रामपाल दास) प्रथम चरण की दीक्षा में देता हूँ। दूसरे चरण में सतनाम तथा तीसरे चरण में ’’सारशब्द’’ देता हूँ। {इसी प्रकार परमेश्वर कबीर जी ने राजा बीर सिहं बघेल (काशी नरेश) को तीन बार में दीक्षा पूर्ण की थी। प्रमाण :- कबीर सागर के अध्याय ’’बीर सिहं बोध‘‘ में।}  सोई गुरू पूरा कहावे जो दो अखर का भेद बतावै। ऊपर दो अक्षर के सतनाम (सत्यनाम) के विषय में लिख दिया है, परंतु सारशब्द के विषय में नहीं बताऊँगा। काल के दूत सार शब्द जानकर स्वयंभू गुरू बन कर भोले जीवों को काल के जाल में रख लेंगे क्योंकि यह मन्त्र तथा उपरोक्त प्रथम दीक्षा मन्त्र तथा दूसरी दीक्षा मन्त्र सत्यनाम वाले तथा सार शब्द मुझ दास (रामपाल दास) के अतिरिक्त कलयुग में कोई दीक्षा में ये मन्त्रा देने का अधिकारी नहीं ह