दास की परिभाषा‘‘

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‘‘दास की परिभाषा‘‘ एक समय सुल्तान एक संत के आश्रम में गया। वहाँ कुछ दिन संत जी के विशेष आग्रह से रूका । संत का नाम हुकम दास था। बारह शिष्य उनके साथ आश्रम में रहते थे। सबके नाम के पीछे दास लगा था। फकीर दास, आनन्द दास, कर्म दास, धर्मदास। उनका व्यवहार दास वाला नहीं था। उनके गुरू एक को सेवा के लिए कहते तो वह कहता कि धर्मदास की बारी है, उसको कहो, धर्मदास कहता कि आनन्द दास का नम्बर है। उनका व्यवहार देखकर सुल्तानी ने कहा कि:-  दासा भाव नेड़ै नहीं, नाम धराया दास। पानी के पीए बिन, कैसे मिट है प्यास।। सुल्तानी ने उन शिष्यों को समझाया कि मैं जब राजा था, तब एक दास मोल लाया था। मैंने उससे पूछा कि तू क्या खाना पसंद करता है। दास ने उत्तर दिया कि दास को जो खाना मालिक देता है, वही उसकी पसंद होती है। आपकी क्या इच्छा होती है? आप क्या कार्य करना पसंद करते हो? जिस कार्य की मालिक आज्ञा देता है, वही मेरी पसंद है। आप क्या पहनते हो? मालिक के दिए फटे-पुराने कपड़े ठीक करके पहनता हूँ। उसको मैंने मुक्त कर दिया। धन भी दिया। उसी की बातों को याद करके मैं अपनी गुरू की आज्ञा का पालन करता हूँ। अपनी मर्जी कभी न

फॉक्स चैनल पर देखा कि वह अंग्रेज फूडी एक्सपर्ट जब एंग्लो इंडियन समुदाय से पूछता था कि आपको अंग्रेजों

थोड़ी देर पहले फॉक्स चैनल देख रहा था .....उसमें एक ब्रिटिश फ़ूड  एक्सपर्ट कोलकाता में घूम रहा था वह कोलकाता की चाइनीस बस्ती में भी गया फिर वह कोलकाता की एंग्लो इंडियन समुदाय के बीच में गया

 दरअसल अंग्रेजों की पत्नियों को भारत का आबोहवा सूट नहीं करता था तब अंग्रेज अकेले यहां रहते थे और कई भारतीय महिलाओं को रखैल बनाकर रखते थे।  उस जमाने में गर्भनिरोधक इतने सुलभ नहीं होते थे 

और उस जमाने में कोलकाता बहुत बड़ा बंदरगाह था  दुनिया भर के जहाज कोलकाता में रुकते थे और उन जहाजों के नाविक और कप्तान कुछ दिनों के लिए कोलकाता में रुकते थे तब कुछ भारतीय महिलाओं को अपनी रखेल बनाकर रखते थे 

अंग्रेजों के वीर्य से भारतीय महिला रखैल से पैदा हुई उन्हीं संतानों को आज एंग्लो इंडियन समुदाय कहा जाता है 

तृणमूल कांग्रेस का सांसद डेरेक ओ ब्रायन उसी समुदाय से है उसकी दादी को एक अंग्रेज जहाज का कैप्टन रखेल बनाकर रखता था 

 इस एंग्लो इंडियन समुदाय को यह लग रहा था कि जब अंग्रेज भारत से जाएंगे तब उन्हें भी अपने साथ ब्रिटेन लेकर जाएंगे क्योंकि यह सीधे-सीधे अंग्रेजों की संताने थी लेकिन जब अंग्रेज यहां से जाने लगे तब कहे  के तुम हमारी अवैध संतान हो हम तुम्हें अपने यहां नहीं ले जाएंगे 

क्योंकि यह समुदाय बहुत बड़ी मात्रा में झारखंड बंगाल मसूरी शिमला जैसे जगहों पर था इसलिए हमारे संविधान बनाने वालों ने इस समुदाय के लिए भी एक विशेष व्यवस्था कर दिया इन्हें विधानसभा विधानपरिषद और संसद में आरक्षण दिया गया 

फॉक्स चैनल पर देखा कि वह अंग्रेज फूडी एक्सपर्ट जब एंग्लो इंडियन समुदाय से पूछता था कि आपको अंग्रेजों का राज अच्छा लगता था कि आज आजाद भारत में अच्छा लगता है तो सब के सब कह रहे थे कि उन्हें तो अंग्रेजों का राज ही अच्छा लगता है 

 फिर उस अंग्रेज शेफ ने पूछा तो क्या आप लोग चाहते हैं कि अंग्रेज भारत पर फिर से आ जाए तो सब यह कहते थे कि हां हम तो चाहते हैं अंग्रेज भारत पर फिर से आए और भारत पर राज करें

आप सबके घर में यीशु की बड़ी बड़ी मूर्ति बड़ी बड़ी तस्वीर है ऐसे लगी थी जैसे यही असली ईसाई  हो 

मैं 58 देश घुमा हूं ..सब ईसाई देश ...बहुत से अंग्रेजों के घर गया असली ईसाइयों के घर गया किसी के घर में ईसा मसीह की इतनी बड़ी पोट्रेट या मूर्ति  नहीं देखी

जितेंद्र सिंह.....साभार

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