दास की परिभाषा‘‘

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‘‘दास की परिभाषा‘‘ एक समय सुल्तान एक संत के आश्रम में गया। वहाँ कुछ दिन संत जी के विशेष आग्रह से रूका । संत का नाम हुकम दास था। बारह शिष्य उनके साथ आश्रम में रहते थे। सबके नाम के पीछे दास लगा था। फकीर दास, आनन्द दास, कर्म दास, धर्मदास। उनका व्यवहार दास वाला नहीं था। उनके गुरू एक को सेवा के लिए कहते तो वह कहता कि धर्मदास की बारी है, उसको कहो, धर्मदास कहता कि आनन्द दास का नम्बर है। उनका व्यवहार देखकर सुल्तानी ने कहा कि:-  दासा भाव नेड़ै नहीं, नाम धराया दास। पानी के पीए बिन, कैसे मिट है प्यास।। सुल्तानी ने उन शिष्यों को समझाया कि मैं जब राजा था, तब एक दास मोल लाया था। मैंने उससे पूछा कि तू क्या खाना पसंद करता है। दास ने उत्तर दिया कि दास को जो खाना मालिक देता है, वही उसकी पसंद होती है। आपकी क्या इच्छा होती है? आप क्या कार्य करना पसंद करते हो? जिस कार्य की मालिक आज्ञा देता है, वही मेरी पसंद है। आप क्या पहनते हो? मालिक के दिए फटे-पुराने कपड़े ठीक करके पहनता हूँ। उसको मैंने मुक्त कर दिया। धन भी दिया। उसी की बातों को याद करके मैं अपनी गुरू की आज्ञा का पालन करता हूँ। अपनी मर्जी क...

मुसलमान धर्म की जानकारी Part -10कुरान शरीफ में छिपे हुए आध्यात्मिक तथ्यों का खुलासा

मुसलमान धर्म की जानकारी Part -10

कुरान शरीफ में छिपे हुए आध्यात्मिक तथ्यों का खुलासा 

प्रत्येक आत्मा, चाहे वे किसी भी धर्म में जन्मी और पली हों; भगवान के लिए कई तरह से खोज करते हैं जैसे घोर तप करना, ध्यान लगाना, उपवास रखना, पवित्र तीर्थयात्राओं पर जाना आदि। दुर्भाग्य से, किसी को भी पूजा की सही विधि के बारे में निर्णायक प्रमाण नहीं मिल पाए और यहां तक ​​की आध्यात्मिकता की मूल बातें भी बहुत पेचीदा थीं।

चाहे हम अपनी वर्तमान स्थिति को कितना भो झुठला दें, सच्चाई यह है कि हर कोई किसी न किसी कारण से हताश है।
भले ही हम कई बार खुश होते हैं, लेकिन परिणाम अल्पकालिक होता है। ऐसी भूमि को भगवान के राज्य के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता है जहाँ कोई भी आपदा चाहे वह प्राकृतिक हो या मानव निर्मित; तुरंत खुशी को दुखों के निशान में बदल देती है।

किसी विशेष धर्म और उसके आध्यात्मिक प्रवचन को समझने के लिए, एक बुद्धिमान व्यक्ति उस धर्म से संबंधित लोगों के व्यवहार और उनकी साधनाओं को नहीं देखेगा, इसके बजाय वह उस धर्म के पवित्र ग्रंथों के अंदर झांक कर देखेगा। इस लेख में, हम इस्लाम के पांच सबसे चिंतनशील प्रश्नों को शामिल करेंगे, ताकि लोगों को उन वास्तविक तथ्यों का पता चल सके, जिनकी पहले गलत व्याख्या की गई थी।

पवित्र क़ुरान शरीफ का ज्ञान दाता कौन है?

उत्तर: पूरा मुस्लिम समाज ये मानता है कि पवित्र क़ुरान शरीफ का ज्ञान दाता स्वयं अल्लाह (पूर्ण  प्रभु) ही है।
लेकिन आइए हम उस सच्चाई पर एक नज़र डालें जो अब तक छिपी हुई थी।

पवित्र कुरान शरीफ़ 
सूरह अल-फुरकान 25 आयत नं. 59

जिसने आसमानों और जमीन और जो कुछ उनके बीच में है (सबको) छः दिन में पैदा किया, फिर तख्त पर जा विराजा (वह अल्लाह बड़ा) रहमान है, तो उसकी खबर किसी बाखबर (इल्मवाले) से पूछ देखो। (59)

भावार्थ : कुरान ज्ञान दाता अल्लाह (प्रभु) किसी और पूर्ण प्रभु की तरफ संकेत कर रहा है जो सर्व ब्रह्मण्डों का रचनहार है, जिसका वास्तविक ज्ञान तो किसी तत्वदर्शी संत(बाखबर) की शरण ग्रहण करने से ही हो सकता है। कुरान ज्ञान दाता स्वयं स्वीकारता है कि उसकी खबर किसी बाखबर (इल्मवाले) से पूछो, मैं नहीं जानता।

इस प्रकार, यह अपने आप में इस तथ्य पर प्रकाश डालता है कि कुरान का ज्ञान दाता पूर्ण प्रभु नहीं है। इतना ही नहीं, वह इस बारे में ज्ञान भी नहीं रखता है कि सर्वशक्तिमान कौन है और वह हजरत मुहम्मद को "तत्वदर्शी संत(बाखबर) की शरण ग्रहण करने के लिए कह रहा है, जो सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान अर्थात तत्वज्ञान प्रदान करने योग्य है यानी इल्मवाला है।

सूरह अल-फुरकान 25 आयत नं. 55

और अल्लाह के सिवाय ऐसों को पूजते हैं जो न उनको नफा पहुँचा सकते हैं और न उनको नुकसान पहुँचा सकते हैं।  
और काफ़िर तो अपने परवरदिगार से पीठ दिए हुए (मुँह मोड़े) हैं।

भावार्थ : कुरान ज्ञान दाता अल्लाह (प्रभु) पैगंबर मुहम्मद को बता रहा है कि ऐसे लोग हैं जो अल्लाह को भगवान नहीं मानते हैं और अन्य देवताओं की पूजा करते हैं, जो उन्हें कोई लाभ नहीं दे सकते हैं, न ही उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं। वे भगवान के प्रति अविश्वास रखते हैं और उन्हें काफिर मानना चाहिए क्योंकि वे गलत साधनाएं कर रहे है

इसका तात्पर्य यह है कि कुरान ज्ञान दाता से अन्य कोई और पूर्ण परमात्मा है, वह सर्व के पूजा करने योग्य है। उन्होंने पैगम्बर मुहम्मद से कहा कि काफिरों का कहा मत मानना व अल्लाह / प्रभु के लिए संघर्ष (जिहाद) करना, लड़ाई नहीं करना।

जीवनी हजरत मुहम्मद(सल्लाहु अलैहि वसल्लम) लेखक हैं - मुहम्मद इनायतुल्लाह सुब्हानी, मूल किताब - मुहम्मदे(अर्बी) से, अनुवादक - नसीम गाजी फलाही, प्रकाशक - इस्लामी साहित्य ट्रस्ट प्रकाशन नं. 81 के आदेश से प्रकाशन कार्य किया है।

मर्कजी मक्तबा इस्लामी पब्लिशर्स, डी-307, दावत नगर, अबुल फज्ल इन्कलेव जामिया नगर, नई दिल्ली।
पृष्ठ नं. 67 - 75

एक समय प्रभु प्राप्ति की तड़फ में हजरत मुहम्मद जी नगर से बाहर एक गुफा में साधना कर रहे थे। अचानक एक आवाज़ आई। वे बहुत डर गए, आंखें खोली तो सामने एक फरिश्ता खड़ा था। उसने कहा पढ़ो। हजरत मुहम्मद जी ने कहा मुझे पढ़ना नहीं आता। जिबराईल नामक फरिश्ते ने हजरत मुहम्मद जी को डरा धमकाकर, उनका गला घोंट-2 कर बलात कुरान शरीफ का ज्ञान समझाया। 

क्या भगवान दर्द दे सकता है और किसी भी आत्मा को डरा सकता है? सपने में भी यह संभव नहीं है। क्योंकि एकमात्र अल्लाह / प्रभु ही है जो हमारा वास्तविक पालनहार है। तथ्य यह है कि खलनायक, जो कि क्षर पुरुष (काल) के अलावा कोई और नहीं है, ने कुरान का ज्ञान उसी तरह से दिया जैसे उसने अन्य धर्मों के पवित्र ग्रंथों का ज्ञान प्रदान किया। वह किसी के भी शरीर में सूक्ष्म रूप बना कर प्रवेश कर जाता है और फिर, प्रवचन देता है।

इस प्रकार, पूर्ण परमात्मा ने उन्हें कुरान का ज्ञान दिया, यह अवधारणा गलत साबित होती है और वास्तविकता यह है कि काल ही कुरान का ज्ञान दाता है। काल ने ही हजरत मुहम्मद जी को बलपूर्वक यह ज्ञान समझाया।

इस तथ्य को जानने के बाद कि पूर्ण प्रभु ने कुरान का ज्ञान नहीं दिया है, आइए अगले प्रश्न पर चलते हैं जहां मुसलमान समाज एक गलत धारणा पर फंसा हुआ है।

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