"मुसलमान नहीं समझे ज्ञान कुरआन"
’’नबी मुहम्मद की (मेराज) आसमान यात्रा पर मतभेद‘‘
प्रश्न:- कुछ मुसलमान मानते हैं कि मेराज (सीढ़ी) यानि आसमानों की यात्रा कुछ नहीं है। यह मुहम्मद जी ने स्वपन देखा था। अधिकतर इसे सत्य मानते हैं। उस समय के व्यक्तियों ने उसे कोरी झूठ माना। मुहम्मद साहेब ने बताया कि जब मैं अकेला खुदा के पास चला तो मैंने सतरह पर्दे पार किए। एक पर्दे से दूसरे पर्दे तक जाने का मार्ग पाँच सौ वर्ष का था यानि व्यक्ति को एक पर्दे से दूसरे पर्दे तक जाने में पाँच सौ वर्षों का समय लगा। खच्चर जैसे जानवर
(बुराक) पर बैठकर सीढ़ियों पर से चढ़कर ऊपर गए, आदि-आदि बातों को तथा अन्य सब बातें जो मुहम्मद जी ने अपने साथियों को बताई तो हजरत अबु बक्र ने तो तुरंत मान लिया। परंतु बहुत से मुसलमान मुसलमानी छोड़ गए। उनको एक बात अधिक खटकी, जब मुहम्मद ने कहा कि यह सब इतने समय में हुआ कि जब मैं (मुहम्मद) बुराक पर बैठने लगा तो मेरा पैर पानी से भरे कटोरे को लगा। उसका आधा पानी निकल पाया था। सब आसमानों की यात्रा करके वापिस आकर मैंने उसे रोका और शेष जल बचा दिया। क्या यह सत्य है?
उत्तर:- जो कुछ हजरत मुहम्मद जी ने आसमानों की यात्रा में देखा, वह सब सत्य है। जो पानी के कटोरे को पैर लगना, फिर वापिस आकर शेष पानी निकलने से बचाना, कटोरे को सीधा करना। प्रत्येक पर्दे की दूरी पाँच सौ वर्ष में तय होने का समय लगना। ऊपर नबियों की मंडली देखना। उनको नमाज अता करवाना, बाबा आदम को हँसते रोते देखना आदि-आदि सब सत्य है।(लेखक)
उदाहरण:-
‘‘मुहम्मद साहब के मेआराज’’
मुहम्मद साहब मेआराज को गए। एक क्षण में ही सारे आकाश का भ्रमण करके नीचे आ गए। नीचे आने पर लोगों से अपना सब हाल कहा, किसी-किसी ने तो मान लिया पर बहुतों ने न माना। सुल्तान रूम ने तो इस बात के ऊपर तनिक भी विश्वास ही नहीं किया। मुहम्मद साहब की बात को बिल्कुल झूठ समझा बहुत दिनों तक ऐसा ही अविश्वासी बना रहा। एक दिन एक फकीर बादशाह के सामने आकर कहने लगा कि ईश्वर में सब शक्ति है। वह जो चाहे दिखलावे, जो चाहे सो कर दे। आप मुहम्मद साहब के मेआराज पर क्यों नहीं विश्वास लाते? मुहम्मद साहब का मेआराज बहुत ही ठीक है। उस फकीर ने बहुत प्रकार बादशाह को समझाया पर बादशाह ने एक भी न मानी, उस फकीर ने बादशाह से कहा कि पानी का एक बड़ा बर्तन मँगवाओ। बर्तन मँगवाया गया फकीर के कहने से उसमें पानी भरकर मैदान में रखवा दिया गया। उसने बादशाह से कहा कि इसमें अपना माथा डूबाकर निकाल लो। दरबारी लोग चारों तरफ से घेरकर खड़े थे। बादशाह ने जल में सिर डाल के तुरंत ही निकाल लिया। सिर निकालते ही उस फकीर के ऊपर क्रोध करके बहुत झुझंलाया कहा कि इस फकीर ने मेरे ऊपर बहुत कष्ट डाला था। फकीर ने कहा आपके सब आदमी यहाँ खड़ें हैं, मैंने आपको कुछ भी नहीं किया। मैं अलग खड़ा था। इन लोगों से पूछकर देखिये! लोगों ने भी कहाँ, हाँ हुजूर! यह फकीर तो अलग ही खड़ा है, इसने कुछ भी नहीं किया। अपने आदमियों की यह बात सुनकर बादशाह को बड़ा आश्चर्य हुआ कहने लगा कि मैंने जब पानी में सिर डूबोया उस समय देखा कि मैं स्त्री
हो गया हूँ। एक मैदान में इधर-उधर फिर रहा हूँ। कोई आगे है, न कोई पीछे। वहाँ से थोड़े ही दूर पर खेतिहर लोग खेती का काम कर रहे थे। मैं उसी (स्त्री के) रूप में उन लोगों के पास गया। उन लोगों ने मुझे अकेला लावारिस जानकर अपने गाँव में चलने को कहाँ, वहाँ पहुँच कर एक युवक के साथ मेरा विवाह कर दिया, मैं उसके साथ रहने लगा। उसी अवस्था में बहुत से लड़के और लड़कियाँ उत्पन्न हुई। यहाँ तक कि मैं बहुत वृद्ध हो गया उसी बूढ़ी स्त्री के स्वरूप में एक दिन तालाब में स्नान करने गया। जल में सिर डूबा के बाहर निकलते ही अपने को यहाँ खड़ा पाया और जाना कि मैं शहंशाह रूम हूँ। आप लोगों को भी जैसे का तैसा खड़ा पाया। आश्चर्य है कि इतनी ही देर में क्या क्या हो गया। स्त्री होकर बहुत से बच्चे जने वृद्ध हो नदी में स्नान करने गया डुबकी मारते ही पूर्वावस्था में आ गया। यह क्या कौतुक है? जो एक क्षण मात्रा में ऐसा देखा। उस फकीर ने कहा कि खुदा की कुदरत है। वह जो चाहे सो कर सकता है। तब उस बादशाह को मुहम्मद के कथन पर विश्वास हुआ।
प्रश्न:- वह फकीर कौन था?
उत्तर:- वह अल्लाह कबीर था जो जिंदा बाबा के वेश में थे तथा जो अल-खिज्र नाम से भी जाना जाता है। परमात्मा चाहता है कि मानव आस्तिक बना रहे। किसी समय सच्ची भक्ति करके अपना कल्याण करवा ले।
- पुराणों में प्रमाण है कि एक राजा अपनी बेटी को लेकर ब्रह्मा जी के पास (ऊपर ब्रह्मा के लोक में) बेटी के योग्य पति पूछने तथा विवाह की तारीख रखवाने के लिए गया। यह त्रेतायुग की बात है। त्रेतायुग में व्यक्तियों की ऊँचाई तीस फुट से भी अधिक होती थी। त्रेतायुग बारह लाख छयानवें हजार (12 लाख 96 हजार) वर्ष का होता है। यह त्रेतायुग के मध्य की घटना थी। ब्रह्मा ने कहा कि आप नीचे जाओ। लड़की का विवाह बलराम से कर दो। पृथ्वी का तो युग बीत गया है, यहाँ कुछ क्षण ही बीते हैं। राजा नीचे पृथ्वी के ऊपर आया तो उसके परिवार का कोई व्यक्ति नहीं बचा था। लड़की की ऊँचाई बलराम से बहुत अधिक थी। लिखा है कि राजा हैरान था। बलराम पंद्रह फुट लंबा था। लड़की तीस फुट लंबाई की थी। बलराम (श्री कृष्ण का भाई) ने हल उठाया और लड़की के सिर के ऊपर रखकर दबाया। उसे अपने समान लंबाई वाला बना दिया। तब उनका विवाह हुआ। वह राजा भी श्री कृष्ण के राज में रहा। परमात्मा के मार्ग में सब कुछ संभव है। अविश्वास करना परमात्मा का अपमान करना है। भक्त का उद्देश्य जन्म-मृत्यु के कष्ट से छुटकारा पाना होना चाहिए। सत्य साधना के मंत्र पूर्ण गुरू से लेकर मर्यादा में रहकर मोक्ष प्राप्त करें। किसी पाखंडी गुरू की बातों में न आएँ। भोले व्यक्तियों को अपने जाल में फँसाते हैं। कहते हैं कि इतनी दक्षिणा दो। इतने रूपये अलग दो, तुम्हारे संकट निवारण के लिए अनुष्ठान करूँगा। जिनको सतनाम व सारनाम देने का अधिकार नहीं है, उनके द्वारा किया गया धार्मिक अनुष्ठान किसी काम का नहीं होता।
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