सड़क एवं परिवहन मंत्री #नितिन_गडकरी ने लोक सभा में बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी ने कहा था कि अमेरिका की सड़कें इसलिए बढ़िया नहीं है क्योंकि अमेरिका एक धनी राष्ट्र है; बल्कि अमेरिका एक धनी राष्ट्र इसलिए है क्योंकि अमेरिका की सड़कें बढ़िया है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2024 समाप्त होने के पहले भारत की सड़कें अमेरिका के बराबर होंगी। रोड इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण रोजगार में वृद्धि भी होगी, आर्थिक विकास होगा, साथ ही कृषि एवं पर्यटन में भी बढ़ोत्तरी होगी।
गडकरी जी ने कहा कि इस वर्ष के समाप्त होने के पहले श्रीनगर से मुंबई 12 घंटे के अंदर पहुंचा जा सकता है; दिल्ली से जयपुर 2 घंटे में, दिल्ली से हरिद्वार 2 घंटे में, दिल्ली से देहरादून 2 घंटे में, चेन्नई से बेंगलुरु 2 घंटे में, दिल्ली से अमृतसर 4 घंटे में और दिल्ली से मुंबई की सड़क यात्रा 12 घंटे में इसी साल दिसंबर के पहले पूरा कर सकेंगे।
मंत्री महोदय ने आगे बताया कि लद्दाख के जोजिला सुरंग की स्वीकृति कांग्रेसियों ने दी थी। लेकिन टेंडर 12,000 करोड़ रुपये का आ रहा था। उन्होंने इस टेंडर को भारतीय कंपनियों के लिए सीमित कर दिया, जिसके कारण। इस सुरंग को बनाने में 5000 करोड़ रुपये की बचत हुई।
उन्होंने आगे बताया। कि स्वतंत्रता के पश्चात, मोदी सरकार के आने के पूर्व, गंगा नदी पर जितने भी पुल बने थे, उससे कहीं अधिक पुल मोदी सरकार के समय में बनाए जा चुके हैं।
गडकरी जी ने चुनौती दी कि अब तक उनके मंत्रालय ने 50 लाख करोड़ रुपये का काम करा है। अगर कॉन्ट्रैक्ट देने में थोड़ी सी भी गड़बड़ी होती है तो सबको पता चल जाता है। लेकिन इस 50 लाख करोड़ रुपये के कार्य में एक भी ठेकेदार ऐसा नहीं मिलेगा जिसे अपना कार्य मंजूर कराने के लिए मंत्री से मिलना पड़ा हो।
गडकरी जी ने बताया कि वे असम में चुनाव प्रचार के लिए गए थे और उस समय के मुख्यमंत्री सोनोवाल जी ने उनपे दबाव डालकर ब्रह्मपुत्र पर माजुली पुल बनवाने की घोषणा करने को कहा। उन्होंने कहा कि आप बोल दो, नहीं तो मैं चुनाव हार जाऊंगा। जब दिल्ली आए तो अधिकारियों ने बताया कि इस पुल की कीमत 6000 करोड़ रुपये पड़ेगी। वे एकदम निराश हो गए कि इतना पैसा कहाँ से लाएंगे? लेकिन फिर उन्होंने एक नई तकनीकी का प्रयोग करा जिसमे दो खंभों के बीच की दूरी सामान्यता 30 मीटर से बढ़ाकर 120 मीटर कर दी तथा उसकी ऊपर की कास्टिंग स्टील की। डिजाइन बदलने से पुल की कीमत 6000 करोड़ रुपये से घटकर 680 करोड़ रूपए हो गयी जिसका निर्माण यूपी ब्रिज कॉरपोरेशन कर रहा है और उदघाटन अगले वर्ष तक हो जाएगा।
उन्होंने बताया कि भारत में प्रयोग होने वाली स्टील और सीमेंट का 40 प्रतिशत सड़क क्षेत्र में खप जाता है। उन्होंने कहा कि अगर उनका बस चल जाए तो सड़क निर्माण से स्टील और सीमेंट का उपयोग ही खत्म कर देंगे ताकि इन वस्तुओं के दामों में कमी आ जाए।
गडकरी जी ने कहा कि अब दिल्ली से मेरठ की यात्रा 40 मिनट में पूरी हो जाती है। जबकि पहले 4.5 घंटे तक लग जाते थे। इतने कम समय में यात्रा पूरी होने के कारण पेट्रोल एवं डीजल की भारी बचत होती है। उसी बचत से वो टोल लेते हैं।
देश की सबसे बड़ी समस्या उच्च लॉजिस्टिक कॉस्ट;यानी कि माल को एक जगह से दूसरी जगह भेजने की महंगी दर। उन्होंने कहा कि तेल के दाम पुनः बढ़ गए हैं, जिसके कारण ट्रांसपोर्ट कॉस्ट लगातार बढ़ रही है। विश्व में चीन की लॉजिस्टिक कॉस्ट 8-10 परसेंट है, अमेरिका और यूरोपियन देशों में भी 12% है (जबकि भारत में 14-16 प्रतिशत है)। जबकि हमारे यहाँ एक ट्रक को दिल्ली से मुंबई जाने में 50 घंटे लगते हैं। अब दिल्ली मुंबई हाईवे बनने के बाद। या यात्रा। कार द्वारा 12 घंटे में तथा ट्रक द्वारा 22 घंटे में पूरी हो जाएगी और अगर आधे से ज्यादा समय बचेगा। मशीन कम घिसेगी तथा डीजल की खपत कम होगी और लॉजिस्टिक कॉस्ट भी कम होगी।
लोग सड़क की क्वालिटी के बारे में शिकायत करते हैं। उन्होंने पूछा कि पिछले चार-पांच वर्षों में जो सड़कें बनी हैं, क्या उस पर एक भी गड्ढा है? समस्या यह है कि पहले जो सड़क बनती थी, उसको रिपेयर करने का भी एक गोरखधंधा चल रहा है। मेंटेनेंस के नाम पर उसमें बिटुमिन या तारकोल डाल देते हैं, जिससे सब खु़श रहते हैं क्योंकि सभी लोगों को फायदा पहुंचता है। उन्होंने इस गोरखधंधे को बंद करवा दिया है। अब सीमेंट कंक्रीट की छह इंच मोटी टॉपिंग की सड़कें बन रही है, जहाँ एक भी गड्ढा नहीं दिखेगा, चाहे कितनी भी बरसात हो।
गडकरी जी ने बताया कि सरकार ने निर्णय लिया है कि सड़क निर्माण के कार्य में बाधा बनने वाले पेड़ों को काटा नहीं जाएगा, बल्कि उनको ट्रांसप्लांट किया जाएगा। दूसरे शब्दों में, उन पेड़ों को उखाड़कर कहीं और लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि द्वारका एक्सप्रेस वे हाइवे प्रोजेक्ट में 12,000 पेड़ों को कहीं और ट्रांसप्लांट किया गया है।
मंत्री महोदय ने कहा कि 60 किलोमीटर के हाइवे के बीच में केवल एक टोल आना चाहिए, और ऐसे सभी टोल को तीन महीने के अंदर बंद कर दिया जाएगा जो 60 किलोमीटर से कम की दूरी पर स्थित है।
Ashish kumar
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