‘‘सुमरन करना चाहिए‘‘
चौपाई
तुम कहँ शब्द दीन्हा टकसारा। सो हंसन सों कहो पुकारा।।
शब्द सार का सुम्रन करिहै। सहजै सत्यलोक निस्तरिहै।।
सुम्रन का बल ऐसा होई। कर्म काट सब पलमहँ खोई।।
जाके कर्म काट सब डारा। दिव्य ज्ञान सहजै उजियारा।।
जा कहँ दिव्यज्ञान परकाशा। आपहि में सब लोक निवासा।।
लोक अलोक शब्द हैं भाई। जिन जाना तिन संशय नाहीं।।
तत्त्व सार सुमरण है भाई। जातें यमकी तपन बुझाई।।
सुमरण सों सब कर्म बिनाशा। सुमरण सों दिव्यज्ञान प्रकाशा।।
सुमरण सों जाय है सतलोका। सुमरण सों मिटे है सब धोका।।
धर्मन सुमरण देहु लखाई। जासों हंस सबै मुक्तिाई।।
उपरोक्त वाणियों से स्पष्ट है कि स्मरण करना चाहिए।
अमर मूल पृष्ठ 260 से 264 तक सामान्य ज्ञान है जो पहले वर्णन हो चुका है।
दीक्षा तीन चरणों में पूरी की जाती है
अध्याय ‘‘अमर मूल’’ के पृष्ठ 265 पर तीन बार में दीक्षा क्रम पूरा करने का प्रमाण है। कबीर जी ने दीक्षा क्रम तीन चरणों में पूरा करने को कहा है:-
साहिब कबीर-वचन
तब कबीर अस कहिबे लीन्हा। ज्ञान भेद सकल कहि दीन्हा।।
धर्मदास मैं कहौं विचारी। जिहितैं निबहै सब संसारी।।
प्रथमहि शिष्य होय जो आई। ता कहँ पान देहु तुम भाई।।
जब देखहु तुम दृढ़ता ज्ञाना। ता कहँ कहहू शब्द प्रवाना।।
शब्द मांहि जब निश्चय आवै। ता कहँ ज्ञान अगाध सुनावै।।
अनुभवका जब करै विचारा। सो तौ तीन लोकसों न्यारा।।
अनुभव ज्ञान प्रगट जब होई। आतमराम चीन्ह है सोई।।
शब्द निहशब्द आप कहलावा। आपहि बोल अबोल सुनावा।।
चौपाई
यह मति हम तौ तुम कहँ दीन्हा। बिरला शिष्य कोइ पावै चीन्हा।।
धर्मदास तुम कहौ सन्देशा। जो जस जीव ताहि उपदेशा।।
बालक सम जाकर है ज्ञाना। तासौं कहहू वचन प्रवाना।।(1)
जा कहँ सूक्ष्म ज्ञान है भाई। ता कहँ सुम्रन देहु लखाई।।(2)
ज्ञान गम्य जा कहँ पुनि होई। सार शब्द जा कहँ कहु सोई।।(3)
जा कहँ दिव्य ज्ञान परवेशा। ता कहँ तत्त्व ज्ञान उपदेशा।।
तत्त्वज्ञान जाहि कहँ होई। दूसर कितहु न देखै सोई।।
यही प्रमाण अध्याय बीर सिंह बोध पृष्ठ 113-114-115 पर भी प्रत्यक्ष प्रमाण है कि राजा बीर देव सिंह बघेल को तीन बार दीक्षा का क्रम पूरा किया था
कबीर सागर के अध्याय ‘अमर मूल‘‘ का सारांश सम्पूर्ण हुआ।
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
Comments
Post a Comment