मोबाइल क्रांति के बाद जबसे कैमरे की टेक्नोलॉजी नें तरक्की की है,तबसे हमें सबसे ज़्यादा बेवकूफ अगर मोबाइल कम्पनियों नें बनाया है,तो वो 'मेगापिक्सल' के नाम पर बनाया गया है।
आज मार्केट में 64 मेगापिक्सल वाला फोन और 48 मेगापिक्सल वाला फोन कभी का पुराना पड़ चुका है।
आप रेडमी,ऑप्पो और वीवो में खोजने जाएंगे तो एक सौ आठ-आठ मेगापिक्सल कैमरे वाले फोन मिल जाएंगे।
मेगापिक्सल की इस बढ़ती स्पीड को देखकर तो कई बार ऐसा लगता है कि एक-डेढ़ साल के अन्दर हज़ार-हजार मेगापिक्सल वाले मोबाइल भी मार्केट में मिलने लगेंगे।
और लोग इनके पीछे बेवकूफों की तरह भागते रहेंगे।
वहीं सबसे बड़ा ब्रांड आइफोन आज तक 12 मेगापिक्सल से ऊपर नहीं बढ़ पाया है।
आईफोन छोड़ दीजिए कैनॉन और निकॉन के DSLR जो साठ से लेकर सत्तर हजार तक में आते हैं,उनमें भी 23 से लेकर 24 मेगापिक्सल के कैमरे आज भी लगे होते हैं।
कभी आपने सोचा है,ऐसा क्यों ?
नहीं सोचा होगा..!
आज तमाम रिसर्च के बाद मैनें पाया है कि बढ़िया फोटो सिर्फ ज्यादा मेगापिक्सल के सहारे नहीं आ सकती। जब तक कि आपके मोबाइल में उतना ही बड़ा 'कैमरा सेंसर' न लगा हो।
इसको कुछ ऐसे समझिये की एक छोटी सी थाली में 48 छोटी-छोटी कटोरी रख दी जाए और सबमें खीर डाल दी जाए। फिर आपके सामने परोसकर कहा जाए कि लो भइया खा लो।
वहीं एक दूसरी बड़ी सी साइज वाली यानी महाराजा थाल में तेरह बड़ी-बड़ी कटोरियाँ हों.. जिनमें खीर रखकर दी जाए कि लो भैया इसे खा लो..!
ज्यादा खीर किसमें आएगी ?
निःसन्देह बड़ी वाली थाली में। जिसमें मात्रा तेरह ही कटोरियाँ हैं लेकिन न सिर्फ़ थाली साइज में बड़ी है,बल्कि कटोरियाँ भी बड़ी-बड़ी हैं।
यही होता है।
मेगापिक्सल कटोरी है और सेंसर उसका थाल है।
बेवकूफी ये है कि हमें बाजार समझा देता है कि भइया आप 48 कटोरी खीर पीये हैं,इसलिए आपने ज्यादा खीर पी लिया है।
और हम कटोरी की संख्या देखकर मान भी जातें हैं।
ये मार्केटिंग द्वारा सरासर बेवकूफ़ बनाने की प्रक्रिया है।
आप बस इतना जानिए कि मेगापिक्सल बड़ा होने के साथ-साथ जब तक सेंसर बड़ा नहीं होगा,तब तक कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ेगा।
आजकल सारी मोबाइल कम्पनियां थाली की साइज बढ़ाने की जगह थाली में कटोरी की संख्या बढा रहीं हैं और हमें लग रहा है कि यार हमनें तो 48 कटोरी खीर पी ली है लेकिन मजा क्यों नहीं आया ?
मजा नहीं आएगा।
इसलिए मोबाइल खरीदते समय हमेशा दुकानदार से सेंसर की बात करें..मेगापिक्सल की नहीं।
ये भी ध्यान रखें कि ओप्पो,वीवो,रियलमी और वन प्लस सबको एक ही कम्पनी यानी "BBK इलेट्रॉनिक्स" बनाती है।
लेकिन कैमरे का सेंसर अपना कोई नहीं बनाता। ये सब लोग या तो सैमसंग का सेंसर लगाते हैं या सोनी का।
आजकल सभी फोन में सोनी imx 586 और सैंमसंग GW1,2,3 सेंसर ही सबसे ज़्यादा प्रयोग होते हैं।
इसलिये मोबाइल लेने से पहले सेंसर चेक कर लें और अगर अच्छी तस्वीर चाहते हैं तो हमेशा अपडेटेड वर्जन कैमरा सेंसर वाला मोबाइल ही खरीदें।
दूसरा सबसे महत्वपूर्ण बात। फोटोग्राफी एक स्किल है..ये कैमरा,मेगापिक्सल और सेंसर की मोहताज़ नहीं है।
फिर भी आप अपनी कमाई के बीस-तीस हज़ार ख़र्च कर रहें हैं, तो आपको इतना बेसिक जानना ही चाहिए।
वरना बाजार के द्वारा स्मार्टफोन के नाम पर हमें स्मार्ट तरिके बेवकूफ बनाना जारी रहेगा।
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